चार्ल्स डार्विन
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पहला, उनका शोध आसान, अवलोकनों तथा संग्रहों, आंशिक रूप से 1831 से 1836 में एचएमएस Beagle (वेगले) पर उनकी समुद्र यात्रा के संग्रहों पर आधारित था। इनमें से कई संग्रह इस संग्रहालय में अभी भी मौजूद हैं।
दूसरा, डार्विन महान वैज्ञानिक थे - आज जो हम सजीव चीजें देखते हैं, उनकी उत्पत्ति तथा विविधता को समझने के लिए उनका विकास का सिद्धान्त सर्वश्रेष्ठ माध्यम बन चुका है।
तीसरा, संचार डार्विन के शोध का केन्द्र-बिन्दु था। उनकी सर्वाधिक प्रसिद्ध पुस्तक ऑरिजिन ऑफ स्पीशीज (Origin of Species) प्रजातियों की उत्पत्ति गैर-विशिष्टीकृत पाठकों पर लक्ष्यित थी।
प्रजातियों की उत्पत्ति के बारे में प्रचारित, विकास पर आधारित डार्विन की प्रसिद्ध पुस्तक ऑरिजिन ऑफ स्पीशीज (Origin of Species) सामान्य पाठक पर लक्ष्यित थी - डार्विन चाहते थे कि उनका सिद्धान्त यथासम्भव व्यापक रूप से प्रसारित हो।
डार्विन के विकास का सिद्धान्त हमारे कार्य का एक प्रमुख आधार है। इससे हमें यह समझने में मदद मिलती है कि किस प्रकार विभिन्न प्रजातियां एक दूसरे के साथ जुङी हुई हैं। वैज्ञानिक यह समझने का प्रयास कर रहे हैं कि रूस की बैकाल झील में प्रजातियों की विविधता कैसे विकसित हुई।
पत्राचार
कई वर्षों के दौरान, जिसमें उन्होंने अपने सिद्धान्त को परिष्कृत किया, डार्विन ने अपने अधिकांश साक्ष्य विशेषज्ञों के लम्बे पत्राचार से प्राप्त किया।
डार्विन का मानना था कि वे प्रायः किसी से चीजों को सीख सकते हैं और वे विभिन्न विशेषज्ञों, जैसे, कैम्ब्रिज के प्रोफेसर से लेकर सुअर-पालकों तक, से अपने विचारों का आदान-प्रदान करते थे।
डार्विन का व्यवसा
Beagle (बेगले) पर विश्व के लिए अपनी समुद्री-यात्रा को मानते हैं कि '...मेरे जीवन की सर्वाधिक महत्वपूर्ण घटना है और इसने मेरे सम्पूर्ण व्यवसाय को सुनिश्चित किया है।'
समुद्री-यात्रा के बारे में उनके प्रकाशनों तथा उनके नमूने इस्तेमाल करने वाले प्रसिद्ध वैज्ञानिकों के कारण, उन्हें लंदन की वैज्ञानिक सोसाइटी में प्रवेश पाने का अवसर प्राप्त हुआ।
अपने कैरियर के प्रारंभ में, डार्विन ने प्रजातियों के जीवाश्म सहित बर्नाकल (विशेष हंस) के अध्ययन में आठ वर्ष व्यतीत किए। उन्होंने 1851 तथा 1854 में दो खंडों के जोङों में बर्नाकल (विशेष हंस) के बारे में पहला सुनिश्चित वर्गीकरण विज्ञान का अध्ययन प्रस्तुत किया। इसका अभी भी उपयोग किया जाता है।