श्रीलाल शुक्ल
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श्रीलाल शुक्ल (31 दिसंबर, 1925) हिन्दी के प्रमुख साहित्यकार है। वह समकालीन कथा-साहित्य में उद्देश्यपूर्ण व्यंग के लिये विख्यात हैं। उनका जन्म उत्तर प्रदेश में सन् 1925 में हुआ था तथा उनकी प्रारम्भिक और उच्च शिक्षा भी उत्तर प्रदेश में ही हुई। श्रीलाल शुक्ल जी का पहला प्रकाशित उपन्यास 'सूनी घाटी का सूरज' (1957) तथा पहला प्रकाशित व्यंग 'अंगद का पाँव' (1958) है। स्वतंत्रता के बाद के भारत के ग्रामीण जीवन की मूल्यहीनता को परत दर परत उघाड़ने वाले उपन्यास 'राग दरबारी' (1968) के लिये उन्हें साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। उनके इस उपन्यास पर एक दूरदर्शन-धारावाहिक का निर्माण भी हुआ।
अनुक्रमणिका |
[बदलें] जीवन
[बदलें] प्रकाशित पुस्तकें
- सूनी घाटी का सूरज
- अज्ञातवास
- रागदरबारी
- सीमाएँ टूटती हैं
- मकान
- आदमी का ज़हर
- पहला पड़ाव
- अंगद का पाँव
- यहाँ से वहाँ
- उमरावनगर में कुछ दिन
[बदलें] बाहरी कडियाँ
- ...और `इस उम्र में' भी, लेखक प्रयाग शुक्ल, पत्रिका: वागर्थ
- श्रीलाल शुक्ल जी एक मुलाकात, ब्लाग फुरसतिया पर
- श्रीलाल शुक्ल-विरल सहजता के मालिक, ब्लाग फुरसतिया पर
[बदलें] यह भी देखें
हिंदी के प्रमुख साहित्यकार |
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