ज्ञानपीठ
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ज्ञानपीठ पुरस्कार भारत सरकार द्वारा दिया जाने वाला साहित्य का सर्वोच्च पुरस्कार है। इन पुरस्कारों कि स्थापना १९६१ में की गई और प्रथम पुरस्कार १९६५ में मलयालम लेखक जी शंकर कुरुप को प्रदान किया गया। भारत का कोई भी नागरिक जो आठवीं अनुसूची में बताये गये किसी भाषा में लिखता हो इस पुरस्कार के योग्य है। पुरस्कार स्वरुप पांच लाख रुपये, प्रशस्तिपत्र और वाग्देवी की कांस्य प्रतिमा दी जाती है।
१९८२ से पहले यह पुरस्कार सिर्फ़ लेखक की एकल कृति के लिये दिया जाता था लेकिन इसके बाद से यह लेखक के भारतीय साहित्य में संपूर्ण योगदान के लिये दिया जाने लगा। अब तक कन्नड़ भाषा के लेखक सबसे अधिक सात बार यह पुरस्कार पा चुके हैं, हिन्दी भाषा को यह सम्मान अब तक ६ बार मिला है।
[बदलें] गत विजेता
(वर्ष - नाम - कृति - भाषा)
- १९६५ - जी शंकर कुरुप - ओदाक्कुजल - मलयालम
- १९६६ - ताराशंकर बंधोपाध्याय - गणदेवता - बांग्ला
- १९६७ - के.वी. पुत्तपा - श्री रामायण दर्शणम रामयण) - कन्नड़
- १९६७ - उमाशंकर जोशी - निशिता - गुजराती
- १९६८ - सुमित्रानंदन पंत - चिदंबरा - हिन्दी
- १९६९ - फ़िराक गोरखपुरी - गुल-ए-नगमा - उर्दु
- १९७० - विश्वनाथ सत्यनारायण - रामायण कल्पवरिक्षमु - तेलगु
- १९७१ - विष्णु डे - स्मति से टा भविष्यत - बांग्ला
- १९७२ - रामधारी सिंह दिनकर - उर्वशी - हिन्दी
- १९७३ - दत्तात्रेय रामचंद्र बेन्द्रे - नकुतंति - कन्नड़
- १९७३ - गोपीनाथ मोहंती - मत्तिमाताल - उड़िया
- १९७४ - विष्णु सखाराम खांडेकर - ययाति - मराठी
- १९७५ - पी.वी. अकिलानंदम - चित्रपवई - तमिल
- १९७६ - आशापूर्णा देवी - प्रथम प्रतिश्रुति - बांग्ला
- १९७७ - के. शिवराम कारंत - मुक्कजिया कनसुगालु - कन्नड़
- १९७८ - अज्ञेय - कितनी नावों में कितनी बार - हिन्दी
- १९७९ - बिरेन्द्र कुमार भट्टाचार्य - मृत्युंजय - असमिया
- १९८० - एस.के. पोत्ताकट - ओरु देसात्तिन्ते कथा - मलयालम
- १९८१ - अमृता प्रीतम - कागज ते कैनवास - पंजाबी
- १९८२ - महादेवी वर्मा - हिन्दी
- १९८३ - मस्ती वेंकटेश अयंगार - कन्नड़
- १९८४ - तकाजी शिवशंकरा पिल्लै - मलयालम
- १९८५ - पन्नालाल पटेल - गुजराती
- १९८६ - सच्चिदानंद राउतराय - उड़िया
- १९८७ - विष्णु वामन शिरवाडकर कुसुमाग्रज - मराठी
- १९८८ - डा.सी नारायण रेड्डी - तेलगु
- १९८९ - कुर्तुलएन हैदर - उर्दु
- १९९० - वी.के.गोकक - कन्नड़
- १९९१ - सुभाष मुखोपाध्याय - बांग्ला
- १९९२ - नरेश मेहता - हिन्दी
- १९९३ - सीताकांत महापात्र - उड़िया
- १९९४ - यू.आर. अनंतमूर्ति - कन्नड़
- १९९५ - एम.टी. वासुदेव नायर - मलयालम
- १९९६ - महाश्वेता देवी - बांग्ला
- १९९७ - अली सरदार जाफरी - उर्दु
- १९९८ - गिरिश कर्नाड - कन्नड़
- १९९९ - निर्मल वर्मा - हिन्दी
- १९९९ - गुरदयाल सिंह - पंजाबी
- २००० - इंदिरा गोस्वामी - असमिया
- २००१ - राजेन्द्र केशवलाल शाह - गुजराती
- २००२ - दण्डपाणी जयकान्तन - तमिल
- २००३ - गोविंद विनायक करंदीकर - मराठी