हिन्दी व्याकरण
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हिन्दी व्याकरण हिन्दी भाषा का व्याकरण है।
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[बदलें] वर्णमाला
हिन्दी भाषा की लिपि देवनागरी है। देवनागरी वर्णमाला में कुल 52 अक्षर जिनमें से 16 स्वर हैं और ३६ व्यंजन।
[बदलें] स्वर
- अ आ इ ई उ ऊ ए ऐ ओ औ अं अः ऋ ॠ ऌ ॡ
(हिंदी में ॠ ऌ ॡ का प्रयोग प्रायः नहीं होता।)
[बदलें] व्यञजन
- क ख ग घ ङ
- च छ ज झ ञ
- त थ द ध न
- ट ठ ड ढ ण
- प फ ब भ म
- य र ल व
- स श ष ह
- क्ष त्र ज्ञ
[बदलें] शब्द
[बदलें] शब्द-भेद
निम्नलिखित 8 प्रकार के शब्द-भेद होते हैं:
[बदलें] संज्ञा
किसी वस्तु, व्यक्ति, स्थान, या भावना का नाम बताने वाले शब्द को संज्ञा कहते हैं। जैसे - गोविन्द, हिमालय, वाराणसी, त्याग आदि
संज्ञा में तीन शब्द-रूप हो सकते हैं -- प्रत्यक्ष रूप, अप्रत्यक्ष रूप और संबोधन रूप ।
[बदलें] सर्वनाम
वे शब्द जो संज्ञा के स्थान पर प्रयुक्त किये जाते हैं सर्वनाम कहलाते हैं। जैसे - मैं, तुम, वह, वे लोग, यह आदि
सर्वनाम में कर्म रूप और सम्बन्ध रूप भी होते हैं, पर सम्बोधन रूप नहीं होता । सर्वनाम में लिंग-भेद नहीं होता ।
[बदलें] विशेषण
वे शब्द जो किसी वाक्य में किसी संज्ञा अथवा सर्वनाम की विशेषता बताते हैं विशेषण कहलाते हैं। जैसे - काला कुत्ता में काला विषेषण है।
जिस संज्ञा अथवा सर्वनाम की विशेषता बतायी जाती है उसे विशेष्य कहते हैं। उपरोक्त वाक्य में कुत्ता विशेष्य है।
संज्ञा और आ-कारन्त विशेषण में प्रत्यय द्वारा रूप बदला जाता है।
[बदलें] क्रिया
जिन शब्दों से किसी कार्य का करना या होना व्यक्त हो उसे क्रिया कहते हैं। जैसे- रोना, खाना, चलना आदि
क्रिया के भी कई रूप होते हैं, जो प्रत्यय और सहायक क्रियाओं द्वारा बदले जाते हैं । क्रिया के रूप से उसके विषय संज्ञा या सर्वनाम के लिंग और वचन का भी पता चल जात है ।
[बदलें] क्रियाविशेषण
क्रिया, विशेषण और क्रिया विशेषण की विशेषता बताने वाले शब्द को क्रिया विशेषण कहा जाता है। जैसे -
- राम तेज दौड़ता है। (यहाँ पर दौड़ना क्रिया है और तेज उसकी विशेषता बताता है अतः तेज क्रिया विशेषण है।)
- मोहन बहुत अच्छा लड़का है। (यहाँ पर अच्छ विशेषण है और बहुत उसकी विशेषता बताता है अतः बहुत क्रिया विशेषण है।)
- राम बहुत तेज दौड़ता है। (यहाँ पर तेज क्रिया विशेषण है और बहुत उसकी विशेषता बताता है अतः बहुत क्रिया विशेषण है।)
[बदलें] सम्बंध सूचक
दो शब्दों के मध्य सम्बंध बताने वाले शब्द को सम्बंध सूचक शब्द कहलाता है। जैसे -
- यह राम की पुस्तक है। (यहाँ की शब्द राम और पुस्तक के मध्य सम्बंध बताता है, अतः की सम्बंध सूचक शब्द है।)
[बदलें] संयोजक
दो शब्दों को जोड़ने वाले शब्द को संयोजक कहा जाता है। जैसे -
- राम और श्याम मित्र हैं। (यहाँ पर और संयोजक शब्द है।)
[बदलें] विस्मयादिबोधक
विस्मय प्रकट करने वाले शब्द को विस्मयादिबोधक कहा जाता है।
जैसे अहा! कितना सुन्दर दृश्य है। (यहाँ अहा विस्मयादिबोधक है।)
[बदलें] अव्यय
जिन शब्दों का रूप नही बदलता। जैसे धीरे-धीरे, आगे-आगे, आजकल आदि
[बदलें] वाक्य
शब्दों के मेल से वाक्य बनता है, जिसका कुछ अर्थ निकलता है।
वाक्य के भाग: वाक्य के दो भाग होते हैं: उद्देश्य और विधेय।
[बदलें] उद्देश्य
जिसके बारे में बात की जाय
[बदलें] विधेय
जो बात की जाय
उदाहरण : मोहन प्रयाग में रहता है। इसमें
उद्देश्य --- मोहन
विधेय--- प्रयाग में रहता है।
[बदलें] वाक्य के भेद
- साधारण या सकारात्मक वाक्य: यह मेरा घर है।
- नकारात्मक वाक्य: कोई भी पुरुष अयोग्य नहीं होता।
- प्रश्नवाच वाक्य: हम क्यां करें?
- आज्ञार्थक वाक्य: उधर मत जाओ।
- विस्मयबोधक वाक्य: हे राम!
[बदलें] काल
वाक्य तीन काल में से किसी एक में हो सकते हैं:
[बदलें] वर्तमान काल
मैं खेलने जा रहा हूँ।
[बदलें] भूतकाल
'जय हिन्द' का नारा नेताजी सुभाष चन्द्र बोस ने दिया था।
[बदलें] भविष्यत काल
अगले म.गलवार को मैं नानी के घर जाउँगा।
[बदलें] पुरुष
हिन्दी में तीन पुरुष होते हैं-
[बदलें] उत्तम पुरुष
मैं, हम
[बदलें] मध्यम पुरुष
तुम
[बदलें] अन्य पुरुष
वह, राम आदि
[बदलें] वचन
हिन्दी में केवल दो वचन होते हैं:
[बदलें] एकवचन
राम, मैं, काला, आदि एकवचन में हैं।
[बदलें] बहुवचन
हम लोग, वे लोग, सारे प्राणी, पेड़ों आदि बहुवचन में हैं।
[बदलें] लिंग
हिन्दी में सिर्फ़ दो ही लिंग होते हैं : स्त्रीलिंग और पुल्लिंग । कोई वस्तु या जानवर या वनस्पति या भाववाचक संज्ञा स्त्रीलिंग है या पुल्लिंग, इसका भेद सिर्फ़ रिवाज़ से होता है, जिसे याद करना पड़ता है ( कभी-कभी संज्ञा के अन्त-स्वर से भी पता चल जाता है ) ।
[बदलें] पुलिंग
पुरुष जाति के लिये प्रयुक्त शब्द पुलिंग में कहे जाते हैं। जैसे - अजय, बैल, जाता है आदि
[बदलें] स्त्रीलिंग
स्त्री जाति के बोधक शब्द जैसे- निर्मला, ची.टी, पहाड़ी, खेलती है, आदि
[बदलें] वाक्य में शब्दों का क्रम
[बदलें] साधारण वाक्यों में शब्दों का क्रम
कर्ता --> कर्म --> क्रिया
किसी शब्द की वाक्य में जगह बताने के लिये कई कारक होते हैं, जो शब्द के बाद आते हैं (postpositions) । अगर संज्ञा को कारक के साथ ठीक से रखा जाये तो वाक्य में शब्द-क्रम काफ़ी मुक्त होता है ।
[बदलें] उपसर्ग
वे शब्द जो किसी दुसरे शब्द के आरम्भ में लगाये जाते हैं। इनके लगाने से शब्दों के अर्थ परिवर्तन या विशिष्टता आ सकती है। उपसर्ग कोई बाइस (२२) हैं-
प्र प्रा अप सम् अनु अव निस् निर् दुस् दुर् वि आ नि सु अति अभि अधि अपि प्रति परि उप् उत्
प्र+मोद = प्रमोद, सु+शील = सुशील
[बदलें] प्रत्यय
वे शब्द जो किसी शब्द के अन्त में जोड़े जाते हैं। जैसे- गाड़ी+वान = गाणीवान, अपना+पन = अपनापन
[बदलें] संधि
दो शब्दों के पास-पास होने पर उनको जोड़ देने को सन्धि कहते हैं। जैसे- सूर्य+उदय = सूर्योदय, अति+आवश्यक = अत्यावश्यक
[बदलें] समास
दो शब्द आपस में मिलकर एक सम्स्त पद की रचना करते हैं। जैसे-राज+पुत्र = राजपुत्र, छोटे+बड़े = चोटे-बड़े आदि
समास छ: होते हैं: द्वन्द्व, द्विगु, तत्पुरुष, कर्मधारय, अव्ययीभाव और बहुब्रिहि