तबला
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तबला उत्तर भारत के सबसे लोकप्रिय वाद्ययंत्र में से एक है जिसका प्रयोग शास्त्रीय संगीत से लेकर हर तरह के संगीत में किया जाता है।
इसका प्रयोग भारतीय संगीत में मुख्य रूप से मुख्य संगीत वाद्य यंत्रो का साथ देनेवाले वाद्ययंत्र के रूप में किया जाता है। इसके दो हिस्से होते हैं, जो लकड़ी के खाले डिब्बे की तरह होते हैं और बजाते समय दोनों के लिये दो अलग अलग हाथ प्रयोग किये जाते हैं। दायें हाथ से बजाये जानेवाले यंत्र को, जो आकार में बड़ा होता है, तबला, दायाँ या दाहिना कहा जाता है। जबकि छोटे यंत्र को जो आकार में छोटा होता है और बायें हाथ से बजाया जाता है सिद्दा, या बायाँ कहा जाता है। सिद्दा को बजाते समय बायें हाथ की उँगलियों, हथेली और कलाई का प्रयोग किया जाता है। दोनो यंत्र पुआल के एक गद्दे पर रखा जाता है जिसे छुट्टा कहा जाता है।
दोनो यंत्रो के उपर बीच में एक काला वृतनुमा आकृति होती है। जो अक्सर या तो चंदन या एक अन्य काले पदार्थ की बनी होती है जिसे शाई कहा जाता है। ये काली वृतनुमा आकृति चमड़े के छाल के उपर लगी होती है।
[बदलें] मशहूर तबला वादक
- उस्ताद अल्लारक्खा
- ज़ाकिर हुसैन
- चतुरलाल
- त्रिलोक गुर्टु
- तलवीन सिंह
- कर्ष काले
- बादल राय
[बदलें] यह भी देखें
भारतीय वाद्ययंत्र