चंद्रकांता
From विकिपीडिया
चंद्रकान्ता हिन्दी के शुरुआती उपन्यासों में है जिसके लेखक देवकीनंदन खत्री हैं। इसकी रचना १९ वीं सदी के आखिरी में हुई थी। यह उपन्यास अत्यधिक लोकप्रिय हुआ था और कहा जाता है कि इसे पढने के लिये कई लोगों ने देवनागरी सीखी थी। यह तिलिस्म और ऐयारी पर आधारित है और इसका नाम नायिका के नाम पर रखा गया है।
[बदलें] कहानी
चंद्रकांता उपन्यास की कहानी दो दुश्मन राजघराने नवगढ और विजयगढ की कहानी है। विजयगढ की राजकुमारी चंद्रकांता और नवगढ के राजकुमार विरेन्द्र विक्रम को आपस मे प्रेम है। दुश्मनी की वजह है कि विजयगढ के महाराज नवगढ के राजा को अपने भाई की हत्या का जिम्मेदार मानते है। मगर इसका जिम्मेदार विजयगढ का महामंत्री क्रूर सिंह है। वह चंद्रकांता से शादी करने और विजयगढ का महाराज बनने का सपना देख रहा है।
उपन्यास मे क्रूर सिंह की षड़यन्त्रो, और विरेन्द्र विक्रम के प्रकारमो का वर्णन किया गया है।