भाषा
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अनौपचारिक रूप से यह कहा जा सकता है कि अपने विचारों को व्यक्त करने के लिये हम जिस सवाक, पारिभाषित ध्वनियों का इस्तेमाल करते हैं वे सभी मिलकर एक समपूर्ण भाषा की अवधारणा बनाते हैं । प्रायः भाषा को लिखित रूप में व्यक्त करने के लिये लिपियों की सहायता लेनी पड़ती है । भाषा और लिपि, भाव व्यक्तीकरण के दो अभिन्न पहलू हैं । एक भाषा कई लिपियों में लिखी जा सकती है , और दो या अधिक भाषाओं की एक ही लिपि हो सकती है । उदाहरणार्थ पंजाबी, गुरूमुखी तथा शाहमुखी दोनो में लिखी जाती है जबकि हिन्दी, मराठी और नेपाली सभी देवनागरी में लिखी जाती है ।