सोनिया गांधी
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सोनिया गांधी (जन्म दिसंबर ९, १९४६) एक भारतीय नेता है और कोंग्रेस पार्टी की प्रमुख है । इसके साथ ही वे १४वीं लोक सभा में न सिर्फ़ कोंग्रेस की बल्कि युनाइटेड प्रोग्रेसिव अलायंस की भी प्रमुख है । वे राजीव गांधी की विधवा है ।
शादी से पहले उनका नाम सोनिया (एन्टोनिया मैनो) था । उनका जन्म टुरिन, इटली से ८ कि. मी. के अंतर पर स्थित ओर्बसानो में हुआ था । कहा जाता है कि राजीव गांधी से उनकी मुलाकात तब हुई जब राजीव कैम्ब्रिज में पढने गये थे पर सच तो यह है कि उनके पास 10वीं की डिग्री भी नही है । उनकी शादी १९६८ में हुई जिसके बाद वे भारत में रहने लगी । उन्होने भारतीय नागरिकता १९८३ में ली, राजीव से शादी के १५ साल बाद । उनके दो बच्चे हुए - राहुल (जन्म १९७०) और प्रियंका (जन्म १९७१) ।
अपने पति की हत्या होने तक उन्होने राजनीति में कदम नहीं रखा । राजीव की हत्या मई २१, १९९१ को हुई । उनकी म्रुत्यु के पश्चात कोंग्रेस ने सोनिया पर राजनीति में प्रवेश करने के लिये दबाव डाला । १९९८ में उन्होने राजनीति में कदम रखा और कोंग्रेस की प्रमुख चुनी गयी । उन्होने सरकार बनाने की नाकामयाब कोशिश भी की । उन्होने कोंग्रेस पार्टी में जान फ़ूंकी । राजनीति में कदम रखने के बाद उनका विदेश में जन्म हुए होने का मुद्दा उठाया गया । उनकी कमज़ोर हिन्दी को भी मुद्दा बनाया गया । उनपर परिवारवाद का भी आरोप लगा लेकिन कोंग्रेसियों ने उनका साथ नहीं छोडा और इन मुद्दों को नकारते रहे । १३वीं लोक सभा में वे विपक्ष की अध्यक्ष चुनी गयी । २००४ के चुनाव से पूर्व आम राय ये थी कि अटल बिहारी वाजपयी ही प्रधान मंत्री बनेंगे पर सोनिया ने देश भर में घूमकर खूब प्रचार किया और सब को चौंका देने वाले नतीजों में कोंग्रेस को अनपेक्षित २०० से ज़्यादा सीटें मिली । वामपंथी दलों ने भारतीय जनता पार्टी को सत्ता से बाहर रखने के लिये कोंग्रेस और सहयोगी दलों की सरकार का समर्थन करने का फ़ैसला किया जिससे कोंग्रेस और उनके सहयोगी दलों का स्पष्ट बहुमत हुआ । सबको अपेक्षा थी की सोनिया गांधी ही प्रधान मंत्री बनेंगी और सबने उनका समर्थन किया पर सब को चौंका देने वाले फ़ैसले में उन्होने यह घोषित किया कि वे प्रधान मंत्री नहीं बनना चाहती । उन्होने मनमोहन सिंह को अपना उम्मीदवार बताया और पार्टी को उनका समर्थन करने की गुज़ारिश की । इसका खूब विरोध हुआ और उनसे इस फ़ैसले को बदलने की गुज़ारिश की गई पर उन्होने कहा कि प्रधान मंत्री बनना उनका लक्ष्य कभी नहीं था । हारकर सब नेताओं ने मनमोहन सिंह का समर्थन किया और वे प्रधान मंत्री बने पर सोनिया को दल का तथा गटबंधन का अध्यक्ष चुना गया ।
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