आमिर खुसरो
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अमीर ख़ुसरो खड़ीबोली हिंदी के प्रथम कवि हैं । वे अपनी पहेलियों और मुकरियों के लिए जाने जाते हैं । सबसे पहले उन्हीं ने हिन्दी भाषा (हिन्दवी) का उल्लेख किया था ।
अनुक्रमणिका |
[बदलें] उदाहरण
[बदलें] दोहा
खुसरो दरिया प्रेम का, उलटी वा की धार,
जो उतरा सो डूब गया, जो डूबा सो पार.
सेज वो सूनी देख के रोवुँ मैं दिन रैन,
पिया पिया मैं करत हूँ पहरों, पल भर सुख ना चैन.
[बदलें] पद
छाप तिलक सब छीनी रे मोसे नैना मिलाइके
छाप तिलक सब छीनी रे मोसे नैना मिलाइके
प्रेम बटी का मदवा पिलाइके
मतवाली कर लीन्ही रे मोसे नैना मिलाइके
गोरी गोरी बईयाँ, हरी हरी चूड़ियाँ
बईयाँ पकड़ धर लीन्ही रे मोसे नैना मिलाइके
बल बल जाऊं मैं तोरे रंग रजवा
अपनी सी कर लीन्ही रे मोसे नैना मिलाइके
खुसरो निजाम के बल बल जाए
मोहे सुहागन कीन्ही रे मोसे नैना मिलाइके
छाप तिलक सब छीनी रे मोसे नैना मिलाइके
[बदलें] बाहरी कडियाँ
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