हिंदी की विभिन्न बोलियां और उनका साहित्य
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आधुनिक हिंदी जो, भारत में साहित्य, संस्कृति और पत्र-पत्रिकाओं की भाषा है, वह लगभग समस्त भारत में लिखी पढ़ी और बोली जाती है। बम्बइया फ़िल्मों में भी इसी भाषा का प्रयोग होता है। इसका विकास अपभ्रंश से माना गया है। ऐसा समझा जाता है कि इसका विकास मूल रूप से पश्चिमी उत्तर प्रदेश में दिल्ली के आसपास हुआ। इसको बोलने और समझने वाले पूरे भारतीय उपमहाद्वीप और अरब देशों में हैं। इसकी अनेक बोलियां हैं जिनमें से कुछ में अत्यंत उच्च श्रेणी के साहित्य की रचना हुई है। ऐसी बोलियों में ब्रज भाषा और अवधी प्रमुख हैं। हिंदी की प्रमुख बोलियां ये हैं:
अनुक्रमणिका |
[बदलें] हिंदी प्रदेशों की हिंदी बोलियां
1- पश्चिमी हिंदी
- खड़ी बोली
- बृजभाषा
- हरियाणवी
- बुंदेली
- कन्नौजी : उत्तर प्रदेश के इटावा, फर्रुखाबाद, शाहजहांपुर, कानपुर, हरदोई, और पीलीभीत, जिलों के ग्रामीणांचल में बहुतायत से बोली जाती है। कन्नौजी भाषा और उसके लोक साहित्य पर जो शोध कार्य हुए हैं उनमें सन्त राम अनिल, डॉ॰ सुरेश चन्द्र त्रिपाठी और डॉ॰ जगदीश व्योम द्वारा किए गए महत्वपूर्ण कार्य है। कन्नौजी पर डॉ॰ जगदीश व्योम का महत्वपूर्ण कार्य है 'कन्नौजी लोकगाथाओं का सर्वेक्षण और विश्लेषण" यह ग्रन्थ प्रकाशित है। डॉ॰ जगदीश व्योम तथा डॉ॰ राजकुमार सिंह ने कन्नौजी का लोकोक्ति एवं मुहवरा कोश भी तैयार करके प्रकाशित कराया है जो कि काफी चर्चित रहा है।
2- पूर्वी हिंदी
- अवधी
- बघेली
- छत्तीसगढ़ी
3- राजस्थानी
- मारवाड़ी
- जयपुरी
- मेवाती
- मालवी
4- पहाड़ी
- पूर्वी पहाड़ी जिसमें नेपाली आती है
- मध्यवर्ती पहाड़ी जिसमें कुमाऊंनी और गढ़वाली आती है।
- पश्चिमी पहाड़ी जिसमें हिमांचल प्रदेश की अनेक बोलियां आती हैं।
5- बिहारी भाषा
[बदलें] हिंदीतर प्रदेशों की हिंदी बोलियां
- बंबइया हिंदी
- कलकतिया हिंदी
- दक्खिनी
[बदलें] विदेशों में बोली जाने वाली हिंदी बोलियां
- उजबेकिस्तान
- मारिशस
- फिजी
- सूरीनाम
- मध्यपूर्व
- त्रीनीदाद और टोबैगो
- दक्षिण अफ्रीका