संस्कृत भाषा
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संस्कृत भारत की एक शास्त्रीय भाषा है । ये दुनिया की सबसे पुरानी उल्लिखित भाषाओं में से एक है । संस्कृत हिन्द-यूरोपीय भाषा-परिवार की हिन्द-ईरानी शाखा की हिन्द-आर्य उपशाखा में शामिल है । ये आदिम-हिन्द-यूरोपीय भाषा से बहुत ज़्यादा मेल खाती है । आधुनिक भारतीय भाषाएँ जैसे हिन्दी, उर्दू, कश्मीरी, ओरिया, बांग्ला, मराठी, सिन्धी, पंजाबी, (नेपाली), आदि इसी से उत्पन्न हुई हैं । इन सभी भाषाओं में यूरोपीय बंजारों की रोमानी भाषा भी शामिल है । संस्कृत में हिन्दू धर्म के लगभग सभी धर्मग्रन्थ लिखे हुए हैं । आज भी हिन्दू धर्म के ज़्यादातर यज्ञ और पूजाएँ संस्कृत में ही होती हैं ।
अनुक्रमणिका |
[बदलें] ध्वनि-तन्त्र और लिपि
संस्कृत भारत की कई लिपियों में लिखी जाती रही है, लेकिन आधुनिक युग में देवनागरी लिपि के साथ इसका ख़ास रिश्ता है । देवनाअगरी लिपि असल में संस्कृत के लिये ही बनी है, इसलिये इसमें हरेक चिन्ह के लिये एक और सिर्फ़ एक ही ध्वनि है ।देवनागरी में १२ स्वर और ३४ व्यंजन हैं । देवनागरी से रोमन लिपि में लिप्यान्तरण के लिये दो पद्धतियाँ मशहूर हैं : IAST और ITRANS । शून्य या एक या अधिक व्यंजनों और एक स्वर के मेल से एक अक्षर बनता है।
[बदलें] स्वर
ये स्वर संस्कृत के लिये दिये गये हैं । हिन्दी में इनके उच्चारण थोड़े अलग होते हैं ।
वर्णाक्षर | “प” के साथ मात्रा | IPA उच्चारण | "प्" के साथ उच्चारण | IAST समतुल्य | अंग्रेज़ी समतुल्य | हिन्दी में वर्णन |
---|---|---|---|---|---|---|
अ | प | / ə / | / pə / | a | short or long en:Schwa: as the a in above or ago | बीच का मध्य प्रसृत स्वर |
आ | पा | / α: / | / pα: / | ā | long en:Open back unrounded vowel: as the a in father | दीर्घ विवृत पश्व प्रसृत स्वर |
इ | पि | / i / | / pi / | i | short en:close front unrounded vowel: as i in bit | ह्रस्व संवृत अग्र प्रसृत स्वर |
ई | पी | / i: / | / pi: / | ī | long en:close front unrounded vowel: as i in machine | दीर्घ संवृत अग्र प्रसृत स्वर |
उ | पु | / u / | / pu / | u | short en:close back rounded vowel: as u in put | ह्रस्व संवृत पश्व वर्तुल स्वर |
ऊ | पू | / u: / | / pu: / | ū | long en:close back rounded vowel: as oo in school | दीर्घ संवृत पश्व वर्तुल स्वर |
ए | पे | / e: / | / pe: / | e | long en:close-mid front unrounded vowel: as a in game (not a diphthong) | दीर्घ अर्धसंवृत अग्र प्रसृत स्वर |
ऐ | पै | / ai / | / pai / | ai | long en:diphthong: as ei in height | दीर्घ द्विमात्रिक स्वर |
ओ | पो | / ο: / | / pο: / | o | long en:close-mid back rounded vowel: as o in tone (not a diphthong) | दीर्घ अर्धसंवृत पश्व वर्तुल स्वर |
औ | पौ | / au / | / pau / | au | long en:diphthong: as ou in house | दीर्घ द्विमात्रिक स्वर |
संस्कृत में ऐ दो स्वरों का युग्म होता है और "अ-इ" या "आ-इ" की तरह बोला जाता है । इसी तरह औ "अ-उ" या "आ-उ" की तरह बोला जाता है ।
इसके अलावा हिन्दी और संस्कृत में ये वर्णाक्षर भी स्वर माने जाते हैं :
- ऋ -- आधुनिक हिन्दी में "रि" की तरह, संस्कृत में American English syllabic / r / की तरह
- ॠ -- केवल संस्कृत में (दीर्घ ऋ)
- ऌ -- केवल संस्कृत में (syllabic retroflex l)
- ॡ -- केवल संस्कृत में (दीर्घ ऌ)
- अं -- आधे न्, म्, ङ्, ञ्, ण् के लिये या स्वर का नासिकीकरण करने के लिये
- अँ -- स्वर का नासिकीकरण करने के लिये (संस्कृत में नहीं उपयुक्त होता)
- अः -- अघोष "ह्" (निःश्वास) के लिये
[बदलें] व्यंजन
जब किसी स्वर प्रयोग नहीं हो, तो वहाँ पर 'अ' माना जाता है । स्वर के न होने को हलन्त् अथवा विराम से दर्शाया जाता है । जैसे कि क् ख् ग् घ् ।
Plosives / स्पर्श | |||||
अल्पप्राण अघोष |
महाप्राण अघोष |
अल्पप्राण घोष |
महाप्राण घोष |
नासिक्य | |
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कण्ठ्य | क / kə /
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ख / khə /
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ग / gə /
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घ / gɦə /
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ङ / ŋə /
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तालव्य | च / cə / or / tʃə /
|
छ / chə / or /tʃhə/
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ज / ɟə / or / dʒə /
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झ / ɟɦə / or / dʒɦə /
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ञ / ɲə /
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मूर्धन्य | ट / ʈə /
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ठ / ʈhə /
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ड / ɖə /
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ढ / ɖɦə /
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ण / ɳə /
|
दन्त्य | त / t̪ə /
|
थ / t̪hə /
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द / d̪ə /
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ध / d̪ɦə /
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न / nə /
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ओष्ठ्य | प / pə /
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फ / phə /
|
ब / bə /
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भ / bɦə /
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म / mə /
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Non-Plosives / स्पर्शरहित | ||||
तालव्य | मूर्धन्य | दन्त्य/ वर्त्स्य |
कण्ठोष्ठ्य/ काकल्य |
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अन्तस्थ | य / jə /
|
र / rə /
|
ल / lə /
|
व / ʋə /
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ऊष्म/ संघर्षी |
श / ʃə /
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ष / ʂə /
|
स / sə /
|
ह / ɦə / or / hə /
|
नोट करें :
- इनमें से ळ (मूर्धन्य पार्विक अन्तस्थ) एक अतिरिक्त वयंजन है जिसका प्रयोग हिन्दी में नहीं होता है। मराठी और वैदिक संस्कृत में इसका प्रयोग किया जाता है ।
- संस्कृत में ष का उच्चारण ऐसे होता था : जीभ की नोक को मूर्धा (मुँह की छत) की ओर उठाकर श जैसी आवाज़ करना । शुक्ल यजुर्वेद की माध्यंदिनि शाखा में कुछ वाक़्यात में ष का उच्चारण ख की तरह करना मान्य था । आधुनिक हिन्दी में ष का उच्चारण पूरी तरह श की तरह होता है ।
- हिन्दी में ण का उच्चारण ज़्यादातर ड़ँ की तरह होता है, यानि कि जीभ मुँह की छत को एक ज़ोरदार ठोकर मारती है । हिन्दी में क्षणिक और क्शड़िंक में कोई फ़र्क नहीं । पर संस्कृत में ण का उच्चारण न की तरह बिना ठोकर मारे होता था, फ़र्क सिर्फ़ इतना कि जीभ ण के समय मुँह की छत को कोमलता से छूती है ।
[बदलें] व्याकरण
संस्कृत व्याकरण आधुनिक भाषाएँ बोलने वालों के लिये कठिन है । इसमें हिन्दी या अंग्रेज़ी की तरह ज़्यादा उपसर्ग (prepositions) नहीं होते । संस्कृत में संज्ञा, सर्वनाम, विशेषण और क्रिया के कई तरह से शब्द-रूप बनाये जाते हैं, जो व्याकरणिक अर्थ प्रदान करते हैं । अधिकांश शब्द-रूप मूलशब्द के अन्त में प्रत्यय लगाकर बनाये जाते हैं । इस तरह ये कहा जा सकता है कि संकृत एक बहिर्मुखी-अन्त-श्लिष्टयोगात्मक भाषा है ।
[बदलें] वैदिक संस्कृत और काव्य संस्कृत
संस्कृत का प्राचीनतम रूप वैदिक संस्कृत है, जो हिन्दू धर्म की प्रमुख किताब वेद की भाषा है । ज़्यादातर लोग पाणिनी की अष्टाध्यायी से काव्य संस्कृत की शुरुआत मानते हैं । रामायण, महाभारत और पुराण काव्य संस्कृत में लिखे गये हैं ।
[बदलें] उदाहरण के लिये कुछ पृष्ठ
संस्कृत के बारे में जानकारी के लिये संस्कृत साहित्य की वेब साइट देखें जहाँ पर | संस्कृत श्लोक, स्तोत्र एवं साहित्य का संकलन है .
[बदलें] यह भी देखिए
- भारत की भाषाएँ
- संस्कृत (विक्षनरी)