रंग दे बसंती
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रंग दे बसंती | |
रंग दे बसंती का पोस्टर |
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निर्देशक | राकेश ओमप्रकाश मेहरा |
निर्माता | राकेश ओमप्रकाश मेहरा, रोनी स्क्रूवाला, देवेन खोटे |
पटकथा | रेंजील डीसूज़ा, राकेश ओमप्रकाश मेहरा |
मुख्य कलाकार | आमिर खान, सोहा अली खान,सरमन जोशी, महादेवन, कुणाल कपूर |
संगीत निर्देशक | ए आर रहमान |
छायांकन | बिनोद प्रधान |
वितरक | यू टीवी मोशन पिक्चर्स |
रिलीज़ तिथी | 26 जनवरी, 2006 |
देश | भारत |
भाषा | हिन्दी |
आईएमडीबी पर जानकारी |
रंग दे बसंती हिन्दी फिल्म है। 26 जनवरी 2006 को यह फिल्म रिलीज़ हुई थी। इस फिल्म के निर्देशक राकेश ओमप्रकाश मेहरा एवं फ़िल्म के मुख्य अभिनेता आमिर ख़ान हैं। 26 सितंबर, 2006 को इसे भारत की तरफ से सर्वश्रेष्ठ विदेशी फ़िल्म की श्रेणी में ऑस्कर एवार्ड के लिए नामित किया गया। [१]
अनुक्रमणिका |
[बदलें] सारांश
फिल्म रंग दे बसंती का मुख्य भाव है जागृति। यह फिल्म अपनी मान्यताओं के बारे में सोचने और उठ खड़े होने के बारे में है और हमें यह इशारा करती है कि क्रांति की ज़रूरत शायद आज भी है। फिल्म का कथानक एक युवा ब्रिटिश फिल्मकार सू की है जो भारत में बरतानी सेना में काम कर चुके अपने दादा की डायरी पढ़ कर भारत आती है, भारत के क्रांतिकारियों के बारे में एक वृत्तचित्र के निर्माण का इरादा लिये। उसका उद्देश्य है भगत सिंह, चन्द्रशेखर आज़ाद और उनके साथियों के ब्रिटिश तानाशाही के खिलाफ हुए संघर्श के बारे मे एक डॉक्युमेंट्री बनाना। चूँकि उसके पास बहुत पैसे नहीं है इस लिये वह चाह्ती है कि दिल्ली विश्वविद्यालय के कुछ छात्र उसकी इस फिल्म में अभिनय करें।
यहाँ उसकी मुलाकात डीजे (आमिर ख़ान) से होती है। डीजे को दिल्ली विश्वविद्यालय से अपनी पढाई पूरी किये हुए पांच साल हो चुके हैं। पर डीजे को ऐसा लगता है कि बाहर की दुनिया में उसके लिये कुछ नहीं रखा है। डीजे के दोस्त हैं करण (सिद्धार्थ), असलम (कुनाल कपूर) और सुखी (शर्मन जोशी) । करण- राजनाथ सिंघानिया नाम के एक उद्योगपति का बेटा है और उसकी अपने पिता से नहीं पटती। असलम जामा मस्जिद के पास की गलियों में रहने वाले एक मध्यम वर्गीय मुस्लिम घर से है। वह इन दोस्तों के बीच का शायर है। सुखी इनमें सबसे छोटा है और सबकी आंखों का तारा है। सब उसे गुट के बच्चे की तरह प्यार करते हैं। इन दोस्तों से अलग है लक्ष्मण पान्डेय (अतुल कुल्कर्णी)। लक्ष्मण एक हिन्दुत्ववादी है जिसे राजनीति पर काफी भरोसा है और वह यह मानता है कि राजनीति से देश और समाज में सुधार लाया जा सकता है। लक्ष्मण की डीजे और उसके साथियों से नहीं बनती है और उनमें अक्सर झगडा होता रहता है। डीजे और साथियों की एक दोस्त है सोनिया (सोहा अली ख़ान) - इस दल की अकेली लडकी। सोनिया की अजय (माधवन) से शादी होने वाली है। अजय एक चुस्त फाइटर पाइलट है जो कि भारतीय वायु सेना में मिग लड़ाकू विमान उडा़ता है।
ये सभी युवा बाकी के आम युवाओं की तरह अपनी ज़िन्दगियों और मौज मस्तियों मे मस्त हैं। इनकी मौज-मस्ती से भरी ज़िन्दगी में देशभक्ति इतिहास की किताबों मे वर्णित कहानियों से ज़्यादा कुछ भी नहीं है। अपनी फिल्म के माध्यम से सू दुनिया को भारतीय क्रांतिकारियों के स्वतंत्रता संग्राम में बलिदान की महानता को दर्शाना चाहती है।
Then Ajay, Sonia's fiancé,(Madhavan) an Indian air-force pilot, is killed when his plane crashes. The government proclaims that the crash was caused by pilot error. Sonia and her friends know that Ajay was an ace pilot and don't accept the official explanation. Instead, they claim that he sacrificed his life to save thousands of other lives, which would have been lost had he ejected from the aircraft safely, leaving his the aircraft to crash in an overcrowded area. They investigate and learn that the crash was due to a corrupt defence minister (Mohan Agashe), who had signed a contract for cheap, spurious MiG aircraft spare parts in return for a large kickback.
Not content to accept this as "just the way things are done", the group decide to protest peacefully. Police forcefully break up their protest. The young men then decide that they must emulate the early freedom fighters and resort to violence. Tragedy and a shocking ending follow.
[बदलें] विवाद तथा समाज पर प्रभाव
- इस फिल्म के बार में मीडिया पर काफी चर्चा हुई और कहा जाता है कि भारतीय समाज पर इसकी अभूतपूर्व छाप पड़ी है [तथ्य चाहिए]। फिल्म का उपशीर्षक है - अ जनरेशन अवेकन्स। इस फिल्म के प्रदर्शन के बाद से भारतीय युवाओं ने कई मोर्चों पर सार्थक प्रदर्शन किये। रंग दे बसंती की तरह इंडिया गेट पर मोमबत्ती जला के लोगों ने प्रियदर्शिनी मट्टू और जेसिका लाल के केसों में अदालत के फैसलों के खिलाफ मोर्चा निकाला और शायद स्वतंत्र भारत के इतिहास में पहली बार इस तरह से शांतिप्रिय जुलूस निकाल के उच्च न्यायालय को और सरकार को ये मुकदमे फिर से खोलने पर मजबूर कर दिया। [तथ्य चाहिए]
- जानवरों के प्रति नर्मी बरतने की पक्षधर संसद सदस्या मेनका गाँधी की आपत्ति पर फिल्म से जानवरों के जुड़े दृश्य जैसा की उपरोक्त पोस्टर में दर्शित है सेंसर बोर्ड द्वारा हटा दिये थे।[२]
- चुंकि फिल्म रक्षा सेवा और मंत्रालय में व्याप्त भ्रष्टाचार के मामले पर केंद्रित थी अतः निर्माताओं ने इनके लिये फिल्म का खास प्रदर्शन भि रखा, शायद वे फिल्म के सेंसर की कैंची के पार जाने के प्रति आशंकित थे। यह जानकारी आम नहीं है कि इसका क्या नतीजा निकला।[३]
[बदलें] यह भी देखें
[बदलें] बाहरी कड़ियाँ
[बदलें] सम्बन्ध
- ↑ "ऑस्कर के लिए जाएगी 'रंग दे बसंती'", बीबीसी हिंदी, 26 सितंबर, 2006.
- ↑ "समाचार", रीडिफ, 16 जनवरी, 2006.
- ↑ "सुपर सेंसर ने पास की फिल्म: अंग्रेज़ी समाचार", याहू, 11 जनवरी, 2006.