हिन्द-यूरोपीय भाषा-परिवार
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हिन्द-यूरोपीय भाषा-परिवार (Indo-European family of languages) दुनिया का सबसे बड़ा भाषा परिवार (यानी कि सम्बन्धित भाषाओं का समूह) हैं । हिन्द-यूरोपीय (या भारोपीय) भाषा परिवार में विश्व की सैंकड़ों भाषाएँ और बोलियाँ सम्मिलित हैं । आधुनिक हिन्द यूरोपीय भाषाओं में से कुछ हैं : हिन्दी, उर्दू, अंग्रेज़ी, फ़्रांसिसी, जर्मन, पुर्तगाली, स्पैनिश, डच, फ़ारसी, बांग्ला, पंजाबी, रूसी, इत्यादि । ये सभी भाषाएँ एक ही आदिम भाषा से निकली है -- आदिम-हिन्द-यूरोपीय (Proto-Indo-European) भाषा, जो संस्कृत से काफ़ी मिलती-जुलती थी, जैसे कि वो सांस्कृत का ही आदिम रूप हो ।
अनुक्रमणिका |
[बदलें] ख़ासियत
इन भाषाओं की ख़ासियत है कि सभी प्राचीन हिन्द-यूरोपीय भाषाओं ( जैसे लैटीन, प्राचीन यूनानी भाषा, संस्कृत, आदि) में संज्ञा, सर्वनाम, विशेषण और क्रिया के कई शब्द-रूप होते थे, जो वाक्य में इनका व्याकरणिक रूप दिखाते थे । ज़्यादातर ये शब्द-रूप शब्द के आख़िर में प्रत्यय द्वारा बनाये जाती थे (end-inflection) । रोज़मर्रा की चीज़ों, सगे-सम्बन्धियों, सामन्य जानवरों, क्रियाओं के लिये काम आने वाले शब्द इस परिवार की सभी प्राचीन भाषाओं में एक दूसरे से क़ाफ़ी मिलते-जुलते थे, और इस तर्ज़ पर भाषाविदों ने आदिम-हिन्द-यूरोपीय भाषा की पारिकल्पना की । नीचे दिये टेबल में कुछ प्राचीन और नयी हिन्द-यूरोपीय भाषाओं की आम शब्दावली के कुछ शब्द और परिकल्पित आदिम-हिन्द-यूरोपीय की पुनर्रचना दिये गये हैं (सभी शब्द और देवनागरी लिप्यान्तरण पूरी तरह शुद्ध नहीं हैं, और इटैलिक्स में प्राचीन भाषा के शब्द दिये गये हैं) ।
हिन्दी | संस्कृत | लैटिन | प्राचीन यूनानी | आधुनिक जर्मन | अंग्रेज़ी | आदिम-हिन्द-यूरोपीय |
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माँ | मातृ | मातेर mater | मैतैर meter | मुटर mutter | मदर mother | *मातेर *mater |
पिता | पितृ | पातेर pater | पातैर pater | फ़ाटर vater | फ़ादर father | *पतेर *pater |
भाई | भ्रातृ | फ़्रातेर frater | फ्रातैर phrater | ब्रूडर bruder | ब्रदर brother | *भ्रातेर *bhrater |
बहिन | स्वसृ | सोरोर soror | एओर eor | श्वॅस्टर schwester | सिस्टर sister | *सुएसोर *swesor |
कुत्ता (श्वान) | श्वन् | कानिस canis | क्युओन kyon | हुण्ड hund | हाउण्ड hound | *कुओन *k'won |
है | अस्ति | एस्त est | एस्ति esti | इस्ट ist | इज़ is | *एस्ति *esti |
पर | पत्त्र | पेन्ना penna | प्तेरोस pteros | फ़ेडर feder | फ़ेदर feather | *पेत (उड़ना) *pet |
भेड़ | अवि | ओविस ovis | ओइस ois | आउअ (भेड़ी) aue | ईउअ (भेड़ी) ewe | *ओउइ *owi |
अश्व | अश्व | एक्वु-उस equus | हिप्पोस hippos | एहवाज़ ehwaz | एओह eoh | *एकुओ *ek'wo |
मन | मनस् | मेन्स mens | मेनोस menos | मिन्न्-अ minne | माइण्ड mind | *मेन *men |
मानव | मानव, मनु | - | - | मन्न mann | मैन man | *मनु *manu |
नाम | नामन् | नोमेन nomen | ओनोमा onoma | नाम्-अ name | नेम name | *नोम्न *nomn |
तू, तुम | त्वम् | तू tu | सू su | दू du | दाउ thou | *तु *tu |
देवता | देव | देउस deus | थेओस theos | ज़िउ ziu | डिवाइन divine | *देइवोस *deiwos |
गाय | गौस् | बोस bos | बुओस buos | कू kuh | काउ cow | *ग्वोउ *gwou |
[बदलें] शाखाएँ
हिन्द यूरोपीय परिवार की कई शाखाएँ हैं । हर शाखा की उपशाखा और उसमें सम्मिलित मुख्य प्राचीन और आधुनिक भाषाएँ और उनके मुख्य देश (ब्रैकेट में) नीचे दिये हुए हैं ।
[बदलें] अल्बानियाई
- आधुनिक अल्बानियाई (अल्बानिया)
[बदलें] अनतोलियाई
- प्रचीन हित्ती (प्राचीन तुर्की)
[बदलें] अरमेनियाई
- आधुनिक अरमेनियाई (आर्मीनिया)
[बदलें] बाल्टिक
[बदलें] केल्टिक
- आयरिश गाएलिक (आयरलैंड)
- स्कॉटिश गाएलिक (स्कॉटलैंड)
[बदलें] जर्मनिक
- पूर्वी जर्मनिक उपशाखा
- गॉथिक (प्राचीन जर्मनी)
- उत्तरी जर्मनिक उपशाखा
- पश्चिमी जर्मनिक उपशाखा
- उच्च जर्मनिक उपशाखा
- आधुनिक उच्च जर्मन (जर्मनी, ऑस्ट्रिया)
- श्वाइत्सर्-दोइच या स्विस-जर्मन (उत्तर और मध्य स्विट्ज़रलैंड)
- निम्न जर्मनिक उपशाखा
- ऍंग्लो फ़्रिसियन
- अंग्रेज़ी (इंग्लैंड, संयुक्त राज्य अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, इत्यादि)
- फ़्रिसियन (नीदरलैंड)
- उच्च जर्मनिक उपशाखा
[बदलें] ग्रीक
(अथवा यूनानी)
- प्राचीन ग्रीक (प्राचीन यूनान)
- आधुनिक ग्रीक (आधुनिक यूनान)
[बदलें] हिन्द ईरानी
- हिन्द-आर्य उपशाखा
- संस्कृत (प्राचीन भारत)
- हिन्दी (आधुनिक भारत)
- उर्दू (आधुनिक भारत, पाकिस्तान)
- बांग्ला (आधुनिक भारत--पश्चिम बंगाल, बांग्लादेश)
- पंजाबी (आधुनिक भारत, पाकिस्तान--पंजाब)
- मराठी (आधुनिक भारत--महाराष्ट्र)
- गुजराती (आधुनिक भारत--गुजरात)
- सिन्धी (आधुनिक भारत, पाकिस्तान--सिन्ध)
- कश्मीरी (आधुनिक भारत--जम्मू और कश्मीर)
- असमिया (आधुनिक भारत--असम)
- रोमानी (यूरोप में, रोमा बंजारों द्वारा)
- संस्कृत (प्राचीन भारत)
[बदलें] इटैलिक
- लातिनी या लैटिन (प्राचीन इटली)
- फ़्रांसिसी (फ़्रांस, कनाडा, पूर्वी स्विट्ज़रलैंड, बेल्जियम, इत्यादि)
- इतालवी (इटली)
- पुर्तगाली (पुर्तगाल, ब्राज़ील, आदि)
- स्पैनिश (स्पेन, मेक्सिको, अर्जेन्टीना, आदि)
- रोमानियाई (रोमानिया, मोल्दाविया)
[बदलें] स्लाव
- पश्चिमी उपशाखा
- चेक (चेक गणराज्य)
- पोलिश (पोलैंड)
- स्लोवाक (स्लोवाकिया)
- दक्षिणी
- बुल्ग़ारियाई (बुल्गारिया)
- बॉस्नियाई (बॉस्निया)
- क्रोएशियाई (क्रोएशिया)
- मैसिडोनियाई (मैसिडोनिया)
- स्लोवेनियाई (स्लोवेनिया)
- सर्बियाई (सर्बिया)
[बदलें] तोख़ारी
- प्राचीन तोख़ारी (मध्य एशिया)
[बदलें] वर्गीकरण
हिन्द यूरोपीय शाखाओं को मुख्यतः दो वर्गों में रखा जाता है : केन्तुम वर्ग और सातम वर्ग ।
[बदलें] सातम वर्ग
इस वर्ग की प्राचीन भाषाओं में आदि-हिन्द-यूरोपीय भाषा के व्यंजन : क्य, ग्य और घ्य, स्पर्श-संघर्षी या संघर्षी व्यंजनों में बदल गये, जैसे : च, ज, स, और श । साथ ही साथ, आदि-हिन्द-यूरोपीय भाषा के व्यंजन : क्व, ग्व और घ्व, इनमें विलय हो गये : क, ग और घ । इनमें बाल्टिक, स्लाव, हिन्द ईरानी, अरमेनियाई और अल्बानियाई शाखाँ आती हैं । संस्कृत इसी वर्ग में आती है ।
[बदलें] केन्तुम वर्ग
इस वर्ग की प्राचीन भाषाओं में आदि-हिन्द-यूरोपीय भाषा के व्यंजन : क्व, ग्व और घ्व वैसे ही परिरक्षित रहे । आदि-हिन्द-यूरोपीय भाषा के व्यंजन : क्य, ग्य और घ्य, इनमें विलय हो गये : क, ग और घ । इनमें इटैलिक, यूनानी, केल्टिक, और जर्मनिक शाखाँ आती हैं ।
[बदलें] आर्य लोग
संस्कृत शब्द आर्य का मतलब होता था कुलीन और सभ्य । इसलिये पुराने इतिहारकारों, जैसे मॅक्स म्युलर ने आदिम- और आधुनिक हिन्द-यूरोपीय भाषा बोलने वाली जातियों का नाम "आर्य" रख दिया । ये नाम यूरोपीय लोगों को क़ाफ़ी पसन्द आया और जल्द ही सभी यूरोपीय वासियों ने अपने अपने देशों को प्रचीन आर्यों की जन्मभूमि बताना शुरूकर दिया (ये बात आजतक जारी है) । ख़ासतौर पर हिट्लर प्रचारित किया कि प्राचीन आर्यों की जन्मभूमि जर्मनी ही है, और आर्य का अर्थ शुद्ध नस्ल का मनुष्य है, जिसकी त्वचा गोरी, क़द लम्बा, आँखे नीली और बाल सुनहरे हैं । हिट्लर के मुताबिक जर्मन लोग ही सर्वोच्च और सर्वशक्तिमान नस्ल के हैं, और ख़ास तौर पर यहूदी लोग घटिया नस्ल के और अनार्य हैं (और जीने के लायक भी नहीं) । ब्रिटिश लोगों ने प्रचारित किया कि लगभग 1700 ई.पू. में हिन्द-आर्य कबीलों ने यूरोप से आकर सिन्धु-घाटी में आक्रमण किया और भारत की देशी सिन्धु घाटी सभ्यता को उजाड़ दिया और उसके निवासियों का नरसंहार किया और बाद में बचे-खुचे लोगों को ग़ुलाम बना लिया -- जिनको ऋग्वेद में दास और दस्यु कहा गया है (इस तरह वो अपने उपनिवेशवाद को सही ठहराना चाहते थे ) ।
हिट्लर के यहूदी नरसंहार के बाद अब "आर्य" शब्द का मतलब भाषाई अर्थ में लगाया जाता है, न कि नस्ल के लिये । पर अभी भी इतिहासकार और भाषाविद आर्यों की जन्मभूमि की खोज कर रहे हैं । एक विचारधारा के मुताबिक आर्यों की जन्मभूमि मध्य एशिया में थी, शायद दक्षिणी रूस या कैस्पियन सागर के आस-पास । वहीं से उनके कबीले दुनिया के कई देशों में पहुँचे । हिन्द-आर्य कबीलों का भारतीय उपमहाद्वीप में प्रवास धीरे-धीरे और शान्तिपूर्वक हुआ था, और ब्रिटिश इतिहासकारों की "ख़ून-खराबे" वाली बातों का कोई प्रमाण नहीं है । उस वक़्त (1800 ई.पू.) तक सिन्धु-घाटी सभ्यता या तो भूकम्पों से या सिन्धु-सरस्वती नदियों की धारा में बदलाव और सूखे की वजह से ख़ुद ही तबाह हो गयी थी । ये विचारधारा आजकल दुनिया के ज़्यादातर भाषाविद और इतिहासकार मानते हैं । मध्य एशिया के "कुरगन कब्र-टीले" प्राचीन आर्यों द्वारा बनाये गये माने जाते हैं । एक दूसरी विचारधारा के मुताबिक प्राचीन आर्यों की जन्मभूमि भारत ही है, और यहीं से आर्य कबीले यूरोप और बाकी एशिया में प्रवास किये । इस बात को कई भारतीय और हिन्दुत्व-वादी मानते हैं (और ये भी कि सिन्धु-सरवती सभ्यता आर्यों की सभ्यता थी और बाकी हिन्द-यूरोपीय भाषाएँ संस्कृत से विकसित हुई हैं), पर बाकी दुनिया में इस दृष्टिकोण की कोई कद्र नहीं है । ज़्यादातर भाषाविदों के मुताबिक "आदिम-हिन्द-यूरोपीय" भाषा के पुनर्निर्मित शब्द यही इशारा करते हैं कि प्राचीन आर्य जन्मस्थान एक विशाल, शीतोष्ण घास का चारागाह था । वैसे भी भारतीय जलवायु और पशु-पक्षियों के शब्दों के लिये यूनानी, लैटिन, जर्मन, और अन्य हिन्द्-यूरोपीय भाषाओं में मिलते जुलते शब्द नहीं मिलते, जैसे मोर, मुर्गा, बाघ, हाथी, आम, केला, पीपल, बरगद, नीम, गर्म-मौसम, गैण्डा, भैंस, चावल, इत्यादि । साथ-ही-साथ, सिन्धु घाटी सभ्यता में बड़े शहर, मछ्ली का उपभोग, 2000 ई.पू. से पहले घोड़े की पूरी ग़ैरहाज़िरी और बाद में भी घोड़ों के बहुत ही कम अवशेष, उनके देवताओं के चित्रों का वैदिक देवताओं से भिन्न होना, उनका बाघ और बैल को आदर जबकि ऋग्वेद में बब्बर-शेर और गाय अधिक उल्लेखित हैं, उनके अधिकांश शहरों में (कालीबंगन, आदि को छोड़कर) वैदिक यज्ञ-अग्नि-वेदी का अभाव, इत्यादि यही इशारा करते हैं कि इसके निवासी आर्य तो नहीं थे । जो भी हो, ये सवाल आज भी तीखी नोक-झोंक का केन्द्र बना हुआ है ।
[बदलें] इस वर्ग के बाहर की भाषाएँ
कई भाषाएँ हिन्द यूरोपीय परिवार के बाहर आती है । उनके अपने अलग परिवार हैं । जैसे : द्रविड़ परिवार (तमिल, तेलगु, कन्नड़, मलयालम), सामी-हामी परिवार (अरबी, इब्रानी), चीनी-तिब्बती परिवार (चीनी, तिब्बती, ख्मेर), जापानी परिवार (जापानी), अल्ताई परिवार (तुर्की) इत्यादि ।
[बदलें] बाहरी कड़ियाँ
[बदलें] उल्लेख
- en:Indo-European languages
- en:Centum-Satem isogloss
- en:List of Proto-Indo-European roots
- Webster's New World Dictionary